Skip to main content

Posts

Showing posts from August, 2025

सच क्या है? परंपरा, नियम, नैतिकता और स्वतंत्र सोच की ज़रूरत

 हर इंसान एक खाली पन्ने की तरह इस दुनिया में आता है। उसकी सोच, उसके नैतिक मूल्य, और समझ उसे समाज, परिवार और परंपराओं से मिलती है। पर क्या जो हमें बचपन से सिखाया जाता है, वही सही और अंतिम सच होता है? 1. परंपराएँ और नियम — ज़रूरी या बंधन? परंपराएँ कभी सामाजिक व्यवस्था और सुरक्षा के लिए बनी थीं। समय के साथ कई परंपराएँ पुरानी हो गईं, पर समाज ने उन्हें ज़ोर-ज़बरदस्ती बनाए रखा। जैसे आज भी हम इंसान की हत्या को सबसे बड़ा पाप मानते हैं, लेकिन जानवरों को मारकर खाना सामान्य और स्वीकार्य समझते हैं। ये दोहरे मापदंड हमें सोचने पर मजबूर करते हैं - क्यों इंसान की हत्या पूरी दुनिया में गलत है, लेकिन जानवरों की हत्या को समाज ने ‘खाने की ज़रूरत’ मान लिया? 2. नैतिकता का सामाजिक निर्माण इंसान की हत्या को हर धर्म, कानून और समाज गलत मानता है क्योंकि यह एक व्यक्ति की मर्यादा और अधिकार का उल्लंघन है। जानवरों को मारकर खाना एक सामाजिक मान्यता है, जो शायद ऐतिहासिक, आर्थिक, या सांस्कृतिक कारणों से बनी है। पर क्या ये नैतिकता का अंतिम पैमाना होना चाहिए? या ये सिर्फ एक सामाजिक सहमति है...